Monday 14 July 2014

हेलमेट अनिवार्यता – सुरक्षा या वसूली...

कल सुबह सुबह दुकान के लिए घर से निकलते ही थोड़ी दूर जाने के बाद पुलिस ने मुझे पकड़ लिया... और कहा..  चालान बना इसका... मैंने पुलिस वाले से ये पूछा.. के सर.. चालान किस बात का... उसने गुस्से में जवाब दिया... “शर्म नहीं आती.. पूछ रहे हो चालान किस बात का...” तो मैंने थोडा शरमा के पूछा.. के सर.. चालान किस बात का... उसने चुटकी लेते हुए अपने सहकर्मी से कहा... “यादव.. ये ज्यादा होशियार बन रहा है... बना साले का 500 रु. का चालान...” उसने गुस्से में फिर जवाब दिया.. हेलमेट कम्पलसरी हो गया है.. और तूने हेलमेट नहीं लगाया है... तो 500 रु. का चालान बनेगा... अब मैंने सोचा.. के पैसे तो इसको देने ही हैं... क्यू न इससे ऐसे सवाल किये जाएं.. जो इसको झकझोर दें.. और शायद ये मुझसे पैसे न ले... मैंने कहा... सर.. शराब पीकर गाडी चलाना भी तो अपराध है.. और रोज़ रात में इतने लोग शराब पीकर गाडी चलाते हैं... तो आप उन लोगों का चालान क्यू नहीं बनाते रोज़... तो उसने कहा “हमको हमारा काम मत सीखा बे हीरो... हमें सब पता है के कब क्या करना है...” मुझे लगा.. के काफी नहीं है.. फिर मैंने पुलिस वाले से पूछा के सर... हमारी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी तो हमारी खुद की होती है ना... तो फिर अगर किसी दुर्घटना में हम ज़ख़्मी हो जाते हैं.. या फिर हमारी जान चली जाती है... तो भी इसकी ज़िम्मेदारी हमारी ही होगी... फिर चाहे हमने हेलमेट लगाया हो या नहीं... क्या फर्क पड़ता है.. पुलिस वाला अब मुझसे परेशान हो रहा था.. और उसने जोर से बोला... “सुन बे.. तू ज्यादा बात मत कर.. जितना तू बोलेगा.. उतना तेरा चालान बढ़ता जाएगा...” मैंने फिर पुलिसवाले से पूछा.. के सर... अगर हेलमेट लगाने के बाद भी मेरी जान चली गई... तो क्या सरकार मेरे परिवार को मेरी मौत का हर्जाना देगी...??? इस सवाल के बाद पुलिस वाला थोडा स्तब्ध रह गया.. और उसने कोई जवाब नहीं दिया... उसके सहकर्मी ने मुझे किनारे में ले जा कर कहा.. के ला 100 रु. दे... और जा चुपचाप.. कल से हेलमेट पहन के घर से निकलना... ठीक है...??? मैंने कहा यादव जी.. अभी घर से निकला हूँ कुछ कमाने के लिए... दुकान पहुंचा भी नही हूँ.. सुबह से 1 रुपया भी कमाया नहीं हूँ... अभी तो नहीं दे पाउँगा पैसे... उसने अपने साहब से कुछ खुसुर फुसुर की.. और मुझसे कहा... “ जा यार तू... मगर कल से हेलमेट पहन के ही घर से निकलना... नहीं तो कल कुछ नहीं सुनूंगा मैं...” मैंने कहा ठीक है सर... मगर आप भी ज़रा सोचें.. जो मैंने आपसे कहा था...
पूरे रास्ते में मैं यही सोचते हुए गया के... क्या सरकार सच में बस ऐसे ही वसूली के लिए ये हेलमेट अनिवार्यता वाले कानून लागू करती है... क्या सच में सरकार जनता की भलाई के लिए ये काम करती है या सिर्फ वसूली करने का एक बहाना है ये.... क्योंकि... अगर ये सच में जनता की भलाई के लिए है... तो हेलमेट नहीं लगाने पर कोई जुर्माना नहीं होना चाहिए... और अगर जुर्माना ले रही है सरकार.. तो ये प्रावधान भी होना चाहिए के अगर हेलमेट लगाने के बाद भी दुर्घटना में किसी को चोट आती है.. या किसी की जान चली जाती है.. तो सरकार इसका पूरा हर्जाना भरे... क्योंकि सरकार के हिसाब से तो मरने वाले ने पूरे नियमों का पालन किया था... और पूरे नियमों का पालन करने के बाद भी उसकी जान चली गई... और अगर सरकार ये हर्जाना नहीं दे सकती... तो सरकार को कोई हक नहीं है बिना हेलमेट वालों पर चालान बनाने का...
हेलमेट पहनना अच्छी बात है... अच्छा काम है... मगर हेलमेट नहीं पहनना कोई बुरा काम नहीं है... सरकार इसे अपराध की श्रेणी में ला चुकी है... मतलब.. मेरे अच्छे के लिए सरकार इतना सोचती है.. के अगर मैं अच्छा काम नहीं करूँ.. तो उसके लिए मुझे अर्थदंड भोगना पड़ेगा... माफ़ करना मालिक.. मगर इतना रामराज नहीं है भारत में.. के सरकार जनता की इतनी सोचे... ये बस तरीका है अपनी आय बढाने का...
दूसरी तरफ... रात में 8 बजे के बाद... जितने भी लोग गाडी चलते हैं... उसमे से 25% लोग शराब पीकर गाडी चलते हैं... मैं एहतियात के साथ कह रहा हूँ.. वरना ये % ज्यादा भी हो सकता है... और अगर वो हेलमेट पहनें हों.. तो उनके लिए कोई नियम कानून नहीं है... मैंने अपने शहर में आज तक ऐसी चेकिंग नहीं देखी जिसमें शराब की जांच की जा रही हो...
मतलब अगर मैं अच्छा कम नहीं करूँ... (हेलमेट लगाना) तो मुझे अर्थदंड भोगना पड़ेगा.. लेकिन अगर मैं गलत कम करूँ (शराब पीकर गाडी चलाना) तो कोई देखने और जांच करने वाला ही नहीं है...
क्या सरकार तैयार है इस बात के लिए.. के अगर हेलमेट पहनने के बाद भी किसी दुर्घटना में किसी को चोट आती है तो उसका हर्जाना सरकार देगी...???
या तो हर्जाना देने के लिए तैयार रहे सरकार... या फिर ये हेलमेट के नाम पे अवैध वसूली बंद करे...
अगर मैं कहीं गलत हूँ... तो मुझे सही करें...

आपका

बादशाह खान