Wednesday 18 April 2012

विज्ञापन का दौर

कल रात टीवी पर एक एड देखा... बड़े कमाल का एड था वो... देखा कि एक लड़का डीओ लगा रहा है.. और परियां आसमान से गिर रही हैं... और अपने परियों वाले ताज को ज़मीन पर फेक कर एक लड़के के पास जा रही हैं... मैंने सोचा ये क्या है भाई... मतलब उस डीओ को लगाने से परियां भी लडको पे फ़िदा हो सकती हैं... एड बनाने वाला शायद यही दिखाना चाहता था... क्या इसका मतलब ये समझा जाए कि लड़की पटानी हो तो डीओ लगाओ...??? फिर दूसरा चैनल ट्यून किया.. उसमे किसी और कंपनी के डीओ का एड देखा... उस एड कि भी मोरल ऑफ़ द स्टोरी यही थी... के डीओ लगाओ.. और लड़की पटाओ... पिछले कुछ दिनों से मैंने जितने भी डीओ के एड देखे... सारे के सारे एड कि मोरल ऑफ़ द स्टोरी यही थी.... ये सारे एड देखने के बाद तो ये लगता है के भारतीय बाजारों में लड़कियों के लिए कोई डीओ ही नही आते हैं... सारे डीओ सिर्फ लड़कों के लिए ही उपलब्ध हैं... और अगर किसी लड़की को लड़का पटाना हो तो...?? क्या उसके लिए कोई डीओ नही है...??  

हमारे देश के फिल्म कलाकार एक विज्ञापन फिल्म में काम करने के ५-६ करोड़ रुपये लेकर ५-६ रूपये का साबुन बेचने चले आते हैं टीवी पर... १५ रु. पेकेट वाले व्हील पावडर को बेचने के लिए ५ करोड़ के सलमान की क्या ज़रुरत है... ४-५ करोड़ की कटरीना कैफ टीवी पर ५ रु. का साबुन बेच रही है... करीना तो एक कदम और भी आगे है... वो तो  सामान बेचते वक़्त प्रोडक्ट की कीमत भी बताती है - "५ रु. वाला बोरो प्लस लगा ले...", अमिताभ बच्चन जैसे अनुभवी कलाकार भी नवरत्न तेल बेचने टीवी पर आते हैं... विज्ञापन कंपनियों को इन सब बड़े और महंगे सितारों की अपेक्षा छोटे और सस्ते फिल्म कलाकारों से विज्ञापन करवा उन्हें काम देना चाहिए... वैसे भी छोटे कलाकारों के पास ज्यादा फिल्मे नहीं होती.. इसी बहाने कम से कम उन्हें काम मिल जाएगा... इस बात में एक अपवाद है अभिषेक बच्चन... अभिषेक बच्चन को पता नहीं कैसे आईडिया जैसे बड़े ब्रांड के साथ जुड़ने का मौका मिल गया..  मुझे नहीं लगता के हम में से एक भी भला मानुष इनमे से कोई भी सामान किसी भी फिल्म कलाकार को देख कर खरीदता होगा.... फिर इन सबका इस विज्ञापन जगत में क्या काम है... बड़ी बड़ी कंपनिया इन फिल्म कलाकारों को इतने पैसे देकर इनसे विज्ञापन करवाती है... पता नहीं  वजह होगी इसकी...

आजकल विज्ञापन में बच्चों की बड़ी अहम् भूमिका होती है... कभी गौर से देखिएगा... हर दुसरे - तीसरे विज्ञापन में बाल कलाकार ही कम करते हुए नज़र आएँगे... यहाँ तक की ३-४  महीने के बच्चे भी टीवी पर विज्ञापन में काम करते देखे जा सकते हैं... बेचारे छोटे छोटे बच्चे भी टीवी पर घरेलु सामान बेचने भेज दिए जाते हैं... इन बेचारे बच्चों को तो इतना भी पता नहीं होता के जिस चीज़ के विज्ञापन में ये लो काम कर रहे हैं वो किस काम आती है...  इसमें सोचने वाली बात ये है के क्या इन बच्चों पर श्रम क़ानून लागू नहीं होता....??? यही अगर कोई गरीब बच्चा किसी होटल में नौकरी कर रहा हो या किसी गेरेज में काम कर रहा हो तो उसके मालिक के ऊपर श्रम क़ानून के उल्लंघन का आरोप लग जाता है.. जेल हो जाती है... पर टीवी पर काम करने वाले बच्चों के मालिक पर कोई श्रम कानून लागू नहीं होता... वे लोग तो बेधड़क बच्चों से काम करवा रहे हैं.... बिना किसी रुकावट के... एक तरफ वो बच्चे हैं... जो अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए काम कर रहे हैं... जो अपना पेट पालने के लिए काम कर रहे हैं... जिन्हें ये काम करने और करवाने से सरकार रोक रही है... और दूसरी तरफ वो बच्चे हैं... जिन्हें पता भी नहीं के वो क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं... जिनके माँ-बाप जबरदस्ती बच्चों से काम करवा रहे हैं... और सरकार इनपर कोई रोक नहीं लगा रही है... मुझे विज्ञापन में काम करने वाले बच्चों से और उनके माँ-बाप से कोई व्यक्तिगत आपत्ति नहीं है... बल्कि उन गरीब बच्चों के प्रति हमदर्दी है... जो बड़ी मुश्किल से काम करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं...

इस बारे में सोचने की ज़रुरत है... 

आपका 
बादशाह खान 

3 comments:

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  2. yeh toh aapne bilkul sahi kaha hame soap, detergent jaise chize k liye hme is sab stars ki zarurat nahi but isse he toh bolte hai "LOGO KA ENTERTAINMENT".....
    NICE Description on ADs... :)

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